Cooking Oils: यह 6 प्रकार के कुकिंग ऑयल होते हैं शरीर के लिए जहर, जल्दी करे इनसे परहेज
खाना पकाने के लिए तेल आवश्यक है और यह डाइटरी फैट का एक भाग है। शरीर के लिए फैट महत्वपूर्ण मैक्रोन्यूट्रिएंट है। तेल के कई प्रकार हैं और हर प्रकार के तेल में कुछ लाभ और बुराई हैं। आपको बताने जा रहे हैं कि ये छह प्रकार के कुकिंग ऑयल बहुत हानिकारक हैं..
खाना पकाने के लिए तेल चाहिए, जिसमें डाइटरी फैट होता है। रोजाना अधिक सैचुरेटेड और ट्रांस फैट खाने से हृदय रोग, मोटापा और सूजन हो सकते हैं। सोयाबीन और कॉर्न तेल में अधिक ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जबकि पाम और नारियल तेल में अधिक सैचुरेटेड फैट होता है। ओलिव ऑयल, फ्लैक्ससीड्स ऑयल, अवोकेडो ऑयल, वालनट ऑयल और सीसम ऑयल सब स्वास्थ्यप्रद हैं।
ऐसा माना जाता है कि रोजाना इस्तेमाल होने वाले कुछ तरह के तेल सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट होता है। यह दोनों तरह के फैट शरीर के लिए खतरनाक होते हैं क्योंकि इनके अधिक सेवन से हृदय रोग, मोटापा और सूजन सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा होता है।
पहले लोग खाना बनाने के लिए नारियल तेल और सरसों का इस्तेमाल करते थे। लेकिन आजकल विभिन्न प्रकार के तेल उपलब्ध हैं, जिन्होंने दावा किया है कि इनके उपयोग से स्वास्थ्य बेहतर होता है। असल में, हर तरह का तेल आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं है। शिखा अग्रवाल शर्मा, एक न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटीशियन, आपको कुछ ऐसे तेलों के बारे में बता रही हैं जो आपके भोजन को स्वादिष्ट बना सकते हैं लेकिन आपकी सेहत को खराब कर सकते हैं।
पाम ऑयल -
पाम ऑयल में सैचुरेटेड फैट अधिक होती है, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाकर हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है। अपनी हाई सैचुरेटेड फैट कंटेंट की वजह से यह हेल्दी ऑप्शन नहीं है।
कोकोनट ऑयल -
नारियल तेल एक और तेल है जिसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। हालांकि इसमें मीडियम सीरीज ट्राइग्लिसराइड्स (एमसीटी) होते हैं जिनके कुछ स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है और हृदय रोग पैदा कर सकता है।
कॉर्न ऑयल -
कॉर्न ऑयल में ओमेगा-6 फैटी एसिड ज्यादा होता है, जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर शरीर में सूजन को बढ़ावा दे सकता है। जबकि ओमेगा-6 फैटी एसिड स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। इसके सेवन से सूजन और पुरानी बीमारियों का जोखिम पैदा हो सकता है।
सोयाबीन ऑयल -
कॉर्न ऑयल की तरह, सोयाबीन तेल में भी ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है और अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह सूजन को बढ़ावा दे सकता है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड के सेवन को संतुलित करना जरूरी है।
वेजिटेबल ऑयल -
वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल सोयाबीन, कॉर्न और सनफ्लावर के मिश्रण से तैयार किये गए ऑयल को कहते हैं। इन तेलों में अक्सर ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है और अधिक मात्रा में सेवन करने पर ये सूजन में पैदा हो सकती है।
सनफ्लावर ऑयल -
सनफ्लावर ऑयल में भी ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है। हालांकि इसमें सैचुरेटेड फैट कम होता है। ध्यान रहे कि ओमेगा-6 का अधिक सेवन सूजन को बढ़ावा दे सकता है।
बेस्ट कूकिंग ऑयल -
शिखा ने बताया कि अगर आप अपनी सेहत को बेहतर रखना चाहते हैं, तो आपको ओलिव ऑयल, फ्लैक्ससीड्स ऑयल, अवोकेडो ऑयल, वालनट ऑयल, सीसम ऑयल आदि का सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए।