Vastu Tips : बच्चे का पढ़ाई में नहीं लगता मन? आजमाएं वास्तु के ये 7 आसान नियम
Vaastu Shastra : बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना एक आम समस्या है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि बच्चे की पढ़ाई में रुचि न होना, या घर का वातावरण पढ़ाई के अनुसार न होना। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के वातावरण का बच्चों की पढ़ाई पर भी प्रभाव पड़ता है। ऐसे में जाने बच्चो का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं.
कुछ बच्चों का दिमाग( children's brain ) तो बहुत तेज होता है, लेकिन मन चंचल होता है. इस वजह से उनका दिमाग अक्सर इधर-उधर की फालतू चीजों में लगा रहता है, लेकिन पढ़ाई में नहीं लगता. कई बार इसकी वजह घर का वातावरण भी हो सकता है. यहां जानिए कुछ ऐसे वास्तु उपाय( Vaastu Remedies ) जो आपके घर के वातावरण को सकारात्मक बनाएंगे. जिससे आपके बच्चे को पढ़ाई के दौरान खुद को एकाग्र करने में मदद मिल सकती है.
सबसे पहले तो बच्चे के लिए एक स्टडी रूम बनवाएं. जिस तरह हम घर में जरूरत के हिसाब से बेडरूम, पूजा का कमरा वगैरह तैयार कराते हैं, उसी तरह पढ़ाई के लिए भी अलग कमरा होना चाहिए, जहां पढ़ाई के अनुरूप वातावरण तैयार किया जा सके. ये कमरा उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए.
स्टडी रूम में किताबों की रैक उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर ही लगवाएं. अगर किताबों की अलमारी है तो उसे भी पूर्व या उत्तर दिशा में रखें. बच्चे की टेबिल और चेयर को इस तरह रखें कि पढ़ते समय उसका मुंह पूर्व या उत्तर में हो. दक्षिण दिशा की तरफ तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इससे उसका ध्यान भटकता है.
स्टडी रूम में मां सरस्वती की प्रतिमा जरूर लगाएं ताकि वहां का माहौल सकारात्मक रहे. इसके अलावा कमरे में वर्ल्ड मैप, टाइम टेबल लगवाएं. सफल होने के कुछ कोट्स लगाए. इसके अलावा दौड़ते हुए घोड़े की तस्वीर और उगते हुए सूरज की तस्वीर भी लगा सकते हैं. इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
बच्चे की स्टडी टेबल आयताकार या चौकोर होनी चाहिए और कुर्सी अच्छी कंडीशन में होनी चाहिए. टूटी हुई कुर्सी से नकारात्मकता आती है. बच्चे की चेयर कमरे में इस तरह रखें कि उसकी पीठ के पीछे खिड़की हो. इससे बच्चे को एनर्जी मिलती है और उसका ध्यान नहीं भटकता है.
स्टडी रूम की दीवारों का रंग पीला रखना चाहिए. इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. कुर्सी और मेज भी हल्के रंग की होनी चाहिए. स्टडी रूम मेंं ब्राइट कलर बच्चों का ध्यान भटकाते हैं.
पढ़ाई वाले कमरे में कभी भी शीशा नहीं लगवाना चाहिए और अगर पहले से लगा है तो बच्चे की चेयर इस तरह होनी चाहिए कि उसकी नजर बार-बार शीशे पर न पड़े वर्ना उसका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा.
ध्यान रखिए कि पढ़ना लिखना हर बच्चे की बौद्धिक क्षमता पर निर्भर करता है, लेकिन हम अपनी तरफ से उसकी कुछ आदतों में बदलाव ला सकते हैं और घर का वातावरण सकारात्मक जरूर बना सकते हैं, ताकि बच्चे के ध्यान को भटकने से बचाया जा सके.